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करवा चौथ: प्रेम का प्रतीक पर्व का तरीका अब बदल रहा ।

करवा चौथ: प्रेम का प्रतीक पर्व

करवा चौथ भारतीय संस्कृति में एक ऐसा पवित्र त्योहार है, जो पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि, और दांपत्य जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा बड़े प्रेम और समर्पण के साथ मनाया जाता है। यह पर्व खासकर उत्तर भारत में अत्यधिक लोकप्रिय है, परंतु अब इसकी प्रसिद्धि और पालन पूरे देश में देखा जाने लगा है।

इस दिन का मुख्य आकर्षण होता है शरद पूर्णिमा का चांद, जिसे देखते हुए महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह त्योहार भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष के प्रेम, परिवार की शक्ति और रिश्तों की अहमियत को दर्शाने वाला पर्व है।

करवा चौथ: परंपरा और आस्था का प्रतीक

करवा चौथ की परंपराएं सदियों पुरानी हैं। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं, जो सास द्वारा दी जाती है। दिनभर निर्जल व्रत रखने के बाद, महिलाएं चांद के दर्शन करती हैं और फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं। इस पूरे अनुष्ठान में चांद का विशेष महत्व होता है, क्योंकि चंद्रमा भारतीय संस्कृति में शांत और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।

व्रत रखने वाली महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करती हैं, जिसमें एक विशेष करवा (मिट्टी का बर्तन) का उपयोग होता है। इस करवा को पूजा के दौरान विशेष स्थान दिया जाता है और उसमें जल भरकर उसे सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है।

बदलते समय के साथ करवा चौथ का स्वरूप

समय के साथ करवा चौथ का स्वरूप बदला है। पहले यह व्रत केवल धार्मिक और पारंपरिक था, लेकिन अब इसमें फैशन, ग्लैमर और आधुनिकता का समावेश हो गया है। महिलाओं के लिए यह एक विशेष दिन होता है, जब वे पारंपरिक रूप से सजी-धजी होती हैं और मेहंदी, बिंदी, और सिंदूर के साथ अपने सुहाग का प्रदर्शन करती हैं।

आधुनिकता के साथ इस व्रत में भी बदलाव आया है। बाजारों में अब करवा चौथ की पूजा सामग्री भी ट्रेंडी और डिजाइनर रूप में मिलने लगी है। जैसे मीनाकारी वाली छलनियां, गोटा पट्टी से सजी पूजा थालियां, और स्टोन से सजाए गए करवा। ये सभी वस्तुएं न केवल पारंपरिक रूप से सुंदर होती हैं, बल्कि आधुनिकता की छाप भी लिए होती हैं।

बाजार और ग्लैमर का बढ़ता प्रभाव

आजकल करवा चौथ का उत्साह बाजार और ग्लैमर से भी प्रभावित हो गया है। खासतौर पर नवविवाहित महिलाएं इस दिन का विशेष ध्यान रखती हैं। डिजाइनर कपड़े, मेहंदी, गहने और सुंदर पूजा थाली का चयन करना इस पर्व का अभिन्न हिस्सा बन गया है। बाजारों में इस दौरान नए फैशन ट्रेंड देखने को मिलते हैं।

करवा चौथ की पूजा के लिए मीनाकारी की छलनी और स्टाइलिश थालियों का उपयोग किया जाता है। मिट्टी के पारंपरिक करवा को भी अब आधुनिक रूप में सजाया जाता है, जिसमें रंग-बिरंगे पत्थरों और चमकदार डिजाइनों का प्रयोग किया जाता है। यह सभी तत्व इस पर्व को और भी खास बना देते हैं।

करवा चौथ: पति-पत्नी के रिश्ते का नया रूप

समय के साथ करवा चौथ में एक बड़ा बदलाव यह आया है कि अब सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी इस व्रत को रखते हैं। यह समर्पण और प्रेम का अद्भुत उदाहरण है, जहां पति-पत्नी एक-दूसरे की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए साथ-साथ व्रत रखते हैं। इस तरह से करवा चौथ न केवल एक धार्मिक पर्व बना, बल्कि यह प्रेम और साझेदारी का प्रतीक भी बन गया है।

करवा चौथ का यह नया स्वरूप यह दर्शाता है कि अब इस व्रत का उद्देश्य सिर्फ पति की लंबी उम्र की कामना नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और समर्थन का प्रतीक भी है।

पूजा की तैयारी: सौंदर्य और सजावट का मेल

करवा चौथ की पूजा सामग्री में थाली का विशेष महत्व होता है, जिसे सजाने के लिए महिलाएं विशेष ध्यान देती हैं। आजकल चांदी, पीतल, और डिजाइनर थालियां प्रचलित हो गई हैं, जिनमें छोटे-छोटे कांच के टुकड़े, रंग-बिरंगी गोटा पट्टी, और अन्य सजावटी सामग्री का उपयोग होता है।

इसके अलावा, करवा (मिट्टी का बर्तन) भी इस व्रत का प्रमुख हिस्सा होता है। इसे भी अब खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। पारंपरिक मिट्टी के करवा को रंग-बिरंगे पत्थरों और चमकदार धागों से सजाया जाता है, जिससे इसका स्वरूप और भी आकर्षक हो जाता है।

समाज और परिवार के लिए करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ न केवल एक धार्मिक और व्यक्तिगत त्योहार है, बल्कि इसका सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है। यह पर्व रिश्तों की गहराई और परिवार की महत्ता को उजागर करता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ मिलकर पूजा करती हैं और अपने रिश्तों को मजबूत करती हैं।

यह पर्व न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि यह पूरे परिवार को एकजुट करने का भी अवसर देता है। परिवारिक संबंधों और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने वाला यह त्योहार जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

करवा चौथ: परंपरा और आधुनिकता का संगम

करवा चौथ का स्वरूप भले ही समय के साथ बदल गया हो, लेकिन इसका मूल उद्देश्य अभी भी वही है—पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और रिश्तों की गहराई की कामना। आधुनिकता और बाजार के प्रभाव ने इस पर्व को और भी खास बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही पारंपरिक मूल्यों और आस्थाओं का सम्मान भी बना हुआ है।

आज का करवा चौथ न केवल व्रत और पूजा तक सीमित है, बल्कि यह एक उत्सव बन चुका है, जहां रिश्तों का सम्मान, परिवार का साथ और प्रेम का प्रदर्शन किया जाता है।

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