“आदेश तो निकले, पर शिक्षा सुधरेगी कब?”
झाबुआ जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कलेक्टर के स्पष्ट निर्देशों को जनजातीय कार्य विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है। शिक्षा सत्र 2023-24 में कक्षा 10वीं और 12वीं में 50% से कम परिणाम देने वाली 20 संस्थाओं के प्राचार्यों की वेतन वृद्धि रोकने का आदेश था, लेकिन साल भर बाद भी केवल दो प्राचार्यों पर कार्रवाई हुई। बाकियों को “छूट” मिलने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या विभाग और प्राचार्यों के बीच कोई साठगांठ है? क्या विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और संबंधितों के बीच कोई सहमति बनी हुई है ।
2024-25: वही ढाक के तीन पात शिक्षा सत्र 2024-25 में भी हालात जस के तस हैं। 6 मई 2025 को घोषित परिणामों के बाद कलेक्टर ने 8 मई को बैठक में 50% से कम परिणाम वाली संस्थाओं के प्राचार्यों के प्रभार बदलने का निर्देश दिया। जनजातीय कार्य विभाग ने 26 मई को आदेश तो जारी किए, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, यह महज कागजी कार्रवाई है। अब तक कोई प्रभार बदला नहीं गया।
झाबुआ के परीक्षा परिणाम: सुधार के बावजूद चिंता बरकरार
- 2024-25 सत्र में परीक्षा परिणाण कुछ इस तरह रहा ।
- कक्षा 10वीं: 83.88% उत्तीर्ण, पिछले साल से उल्लेखनीय सुधार।
- कक्षा 12वीं: 82.12% उत्तीर्ण, बेहतर लेकिन कई स्कूल 50% से नीचे।
शिक्षा सुधार में रोड़ा परिणामों में सुधार के बावजूद, कई संस्थाएं 50% से कम अंक ला रही हैं। फिर भी, न वेतन वृद्धि रुकी, न प्रभार बदले गए। सूत्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी “खिचड़ी पकाने” में मशगूल हैं, जिससे प्राचार्यों को बचाया जा रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बिना सख्ती के शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा। ऐसे दोस्ताना माहौल में शिक्षा का स्तर सुधरने से रहा, जहां आदेश तो जारी होते हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाता ।