झाबुआ, 11 जुलाई 2025: झाबुआ नगर पालिका द्वारा कुंडला गांव में प्रस्तावित ट्रेंचिंग ग्राउंड (सैनिटरी लैंडफिल) के लिए चुनी गई सरकारी भूमि पर विवाद गहराता जा रहा है। शुक्रवार को तहसीलदार सुनील डावर के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम जब भूमि सीमांकन के लिए गांव पहुंची, तो ग्रामीणों ने तीखा विरोध जताया। देखते ही देखते स्थिति तनावपूर्ण हो गई, और कुछ महिलाएं पत्थर लेकर खड़ी हो गईं, समझाईश के बाद महिलाएं मानी, दो दिन का समय दिया गया!

दो दिन की मोहलत, फिर होगी कार्रवाई
तहसीलदार सुनील डावर ने बताया कि प्रशासनिक आदेशों के तहत सीमांकन के लिए टीम मौके पर पहुंची थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए उन्हें दो दिन की मोहलत दी गई है। विवाद की स्थिति बनी थी, महिलाएं पत्थर लेकर खड़ी हो गईं थी! उन्होंने स्पष्ट किया कि दो दिन प्रशासनिक आदेश का पालन करवाकर सीमांकन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और भूमि नगर पालिका को सौंप दी जाएगी।

ग्रामीणों का दावा: “यह हमारी आजीविका का साधन”
विवाद के बाद ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने कहा कि वे पिछले 50-60 वर्षों से इस भूमि पर खेती कर रहे हैं, जो उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि यह भूमि छीनी गई, तो वे बेघर और बेरोजगार हो जाएंगे। इसके अलावा, उन्होंने ट्रेंचिंग ग्राउंड बनने से प्रदूषण और बीमारियों के खतरे की आशंका जताई, साथ ही इस योजना को पूरी तरह निरस्त करने की मांग की।
पंचायत का भी समर्थन
कुंडला ग्राम पंचायत की पेसा ग्राम सभा ने भी इस भूमि आवंटन के खिलाफ ठहराव प्रस्ताव पारित किया है। पंचायत और ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर इस भूमि पर कचरा डंपिंग की अनुमति नहीं देंगे।
वर्तमान ट्रेंचिंग ग्राउंड पर भी विरोध
गौरतलब है कि झाबुआ नगर पालिका वर्तमान में एक अन्य ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरा डंप कर रही है, जहां आसपास के ग्रामीणों का विरोध लगातार जारी है। नई जगह की तलाश में प्रशासन ने कुंडला की सरकारी भूमि को चुना, लेकिन यहाँ भी विवाद और विरोध ने प्रशासन की राह मुश्किल कर दी है।
इस मामले में ग्रामीणों और प्रशासन के बीच फिलहाल सहमति नहीं बनी है। ग्रामीणों की मांग है कि उनकी आजीविका और पर्यावरण की रक्षा के लिए इस योजना को रद्द किया जाए, जबकि प्रशासन सीमांकन और भूमि हस्तांतरण के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है। इस विवाद का हल निकालने के लिए प्रशासन और ग्रामीणों के बीच संवाद की जरूरत है।