जबलपुर, 4 जुलाई 2025: मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर ने आज अपने एक अनमोल रत्न, गरीबों के मसीहा और पद्मश्री सम्मानित डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर (डॉ. एमसी डावर) को खो दिया। 79 वर्ष की आयु में डॉ. डावर ने आज सुबह 4 बजे अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनकी अनोखी चिकित्सा शैली और मात्र 20 रुपये की मामूली फीस में इलाज करने की सेवा भावना ने उन्हें न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे देश में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाया।
50 साल की निस्वार्थ सेवा की लोगों की, 2 रूपए में करते इलाज!
डॉ. एमसी डावर का जन्म 16 जनवरी 1946 को अविभाजित भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। डेढ़ साल की उम्र में अपने पिता को खोने के बाद उन्होंने परिवार के सहयोग से पंजाब के जालंधर में स्कूली शिक्षा पूरी की और जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना में कैप्टन के रूप में उन्होंने घायल सैनिकों का इलाज किया। युद्ध के बाद स्वास्थ्य कारणों से सेना से समयपूर्व रिटायरमेंट लेकर, उन्होंने 1972 में जबलपुर के मदन महल क्षेत्र में एक छोटा सा क्लिनिक शुरू किया।

डॉ. डावर ने अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत मात्र 2 रुपये की फीस से की थी, जो समय के साथ बढ़कर 1997 में 5 रुपये, 2012 में 10 रुपये और फिर 20 रुपये हुई। महंगाई के इस दौर में भी उनकी यह फीस उनकी सेवा भावना का प्रतीक थी। वे प्रतिदिन 100 से 200 मरीजों का इलाज करते थे, जिनमें से कई तीन पीढ़ियों से उनके पास आ रहे थे। उनकी सादगी और समर्पण ने उन्हें “गरीबों के डॉक्टर” का सम्मानजनक उपनाम दिलाया।
2023 में मिला पद्मश्री
डॉ. डावर की निस्वार्थ सेवा को पहचान मिली जब 2023 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री से नवाजा। 26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस समारोह में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। इस सम्मान पर डॉ. डावर ने कहा था, “ऐसे सम्मान से प्रोत्साहन मिलता है और नई ऊर्जा प्राप्त होती है।” 7 अप्रैल 2024 को अपने जबलपुर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डुमना हवाई अड्डे पर उनसे मुलाकात की और उनकी सेवा भावना की सराहना की।
डॉ. डावर का अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में किया जाएगा। उनके निधन की खबर फैलते ही जबलपुर में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय सांसद आशीष दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता ने उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। सांसद आशीष दुबे ने अपने शोक संदेश में कहा, “उनका निधन चिकित्सा, समाज और मानवता के लिए अपूरणीय क्षति है।
“जबलपुर के एक अन्य नागरिक, इंदु तिवारी ने कहा, “डॉ. डावर का जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा नुकसान है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।” डॉ. डावर की सेवा भावना और सादगी ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐसी मिसाल कायम की, जो हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर का जीवन एक ऐसी प्रेरक कहानी है, जो साबित करती है कि सच्ची सेवा और मानवता का कोई मूल्य नहीं होता। उनकी सादगी, समर्पण और गरीबों के प्रति उनकी करुणा ने लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके निधन से जबलपुर ने न केवल एक महान चिकित्सक खोया, बल्कि एक ऐसी शख्सियत को खो दिया, जो धरती पर भगवान का दूसरा रूप कहलाती थी!