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Jhabua Post - हेडर

झाबुआ में साक्षरता अभियान: अक्षर साथियों का रजिस्ट्रेशन और ट्रेनिंग हुई


झाबुआ, मध्य प्रदेश, 31 जुलाई 2025: झाबुआ जिले में उल्लास नव भारत साक्षरता अभियान के तहत एक खास कार्यक्रम हुआ। राणापुर के कंजावानी में अक्षर साथियों को चुनने और उनकी ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। इस अभियान का मकसद है कि जिले के हर घर तक पढ़ाई-लिखाई पहुंचे और ज्यादा से ज्यादा लोग साक्षर बनें।

इस ट्रेनिंग में अक्षर साथियों को बताया गया कि उन्हें कैसे चुनना है और उनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा। साथ ही, पढ़ाने के आसान और मजेदार तरीकों के बारे में भी बात हुई। बच्चों को ग्रुप में बांटकर क्लास चलाने की प्रैक्टिस करवाई गई। अक्षर साथियों को सिखाया गया कि वे अपने परिवार और पड़ोसियों को पढ़ाई के लिए कैसे प्रेरित करें।



झाबुआ में साक्षरता को बढ़ाने के लिए एक बड़ा अभियान चल रहा है। इसके तहत सभी हायर सेकेंडरी स्कूलों, कॉलेजों और प्राइवेट स्कूलों के स्टूडेंट्स को अक्षर साथी बनाया जा रहा है। इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन करवाकर उन्हें इस खास मिशन का हिस्सा बनाया जा रहा है।
31 जुलाई 2025 को राणापुर के कंजावानी में हायर सेकेंडरी स्कूल के लड़के-लड़कियों की ट्रेनिंग हुई। उन्हें इस अभियान के बारे में पूरी जानकारी दी गई और बताया गया कि वे अपने आसपास के लोगों को पढ़ाने में कैसे मदद कर सकते हैं।

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साक्षरता अभियान क्यों जरूरी?
उल्लास नव भारत साक्षरता अभियान एक खास सरकारी योजना है, जिसका लक्ष्य है कि गांव और शहरों में ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़-लिख सकें। झाबुआ में इस अभियान को बहुत जोर-शोर से चलाया जा रहा है। अक्षर साथी इस मिशन के हीरो हैं, जो अपने गांव-मोहल्ले में पढ़ाई का उजाला फैलाएंगे।


झाबुआ में साक्षरता की स्थिति
झाबुआ में अभी साक्षरता दर 2011 की जनगणना के मुताबिक 43.30% है। पुरुषों की साक्षरता 52.85% और महिलाओं की 33.77% है। इस अभियान से खास तौर पर महिलाओं और गांवों में पढ़ाई को बढ़ाने की कोशिश हो रही है।

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जिला प्रशासन इस अभियान को और बड़ा करने की तैयारी में है। आने वाले समय में बाकी विकासखंडों में भी ऐसी ट्रेनिंग और रजिस्ट्रेशन के कार्यक्रम होंगे। साथ ही, डिजिटल साक्षरता के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

यह अभियान न सिर्फ झाबुआ की साक्षरता दर बढ़ाएगा, बल्कि युवाओं को अपने समाज में कुछ अच्छा करने का मौका भी देगा। अक्षर साथी बनकर स्टूडेंट्स अपने आसपास के लोगों को पढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।