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झाबुआ में स्व-सहायता समूहों की आर्थिक तंगी, पोषण आहार वितरण में परेशानी

झाबुआ, मंगलवार, 05 अगस्त 2025: झाबुआ जिले में स्व-सहायता समूह (एसएचजी), जो स्कूलों और आंगनवाड़ियों में पोषण आहार वितरण का जिम्मा संभालते हैं, को पिछले तीन महीनों से राशि नहीं मिलने के कारण गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को जिला मुख्यालय में आयोजित जनसुनवाई में समस्ता सांझा चुल्हा और मध्यान्ह भोजन (एमडीएम) समूह संचालकों ने अपनी शिकायत दर्ज कराई।

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तीन महीने से राशि का इंतजार

स्व-सहायता समूहों के संचालकों ने बताया कि पिछले तीन महीनों से पोषण आहार वितरण के लिए सरकार से मिलने वाली राशि उनके खातों में नहीं आई है। इस कारण समूहों को संचालन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। समूहों को बाजार से खाद्य सामग्री उधार लेनी पड़ रही है, जिससे उनकी उधारी बढ़ती जा रही है। कई समूहों को कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है, जिससे रसोइयों और अन्य कर्मचारियों को भी परेशानी हो रही है।

समूह संचालकों की गुहार

जनसुनवाई में समूह संचालकों ने जिला प्रशासन से तत्काल राशि जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हम बाजार से सामान उधार ले रहे हैं, लेकिन अब दुकानदार भी और उधार देने को तैयार नहीं हैं। कर्ज लेकर समूह चला रहे हैं, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है।” संचालकों ने बताया कि पोषण आहार कार्यक्रम के तहत बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए समय पर भोजन उपलब्ध कराना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन राशि न मिलने से यह काम प्रभावित हो रहा है।

रसोइयों की परेशानी

स्व-सहायता समूहों में काम करने वाली रसोइयों ने भी अपनी परेशानी जाहिर की। उन्होंने बताया कि बिना समय पर राशि के भोजन तैयार करना और सामग्री जुटाना मुश्किल हो रहा है। कई रसोइयों ने कहा कि वे अपनी जेब से पैसे लगाकर काम चला रही हैं, लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती।

प्रशासन से मांग

समूह संचालकों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि उनकी बकाया राशि जल्द से जल्द उनके खातों में जमा की जाए, ताकि पोषण आहार वितरण का कार्य बिना किसी रुकावट के चल सके। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर राशि जल्द जारी नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

पोषण आहार कार्यक्रम का महत्व

झाबुआ जिले में स्व-सहायता समूह स्कूलों में मध्यान्ह भोजन और आंगनवाड़ियों में पूरक पोषण आहार वितरण का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। यह कार्यक्रम बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कुपोषित व्यक्तियों के पोषण स्तर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

स्व-सहायता समूहों की यह समस्या न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रही है, बल्कि पोषण आहार कार्यक्रम की गुणवत्ता पर भी असर डाल सकती है। जिला प्रशासन को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि बच्चों और जरूरतमंदों को समय पर पौष्टिक भोजन मिल सके।

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