झाबुआ, 2 अगस्त
श्री नवकार महामंत्र की 9 दिवसीय आराधना 1 अगस्त से प्रारंभ हुई है, जिसमें प्रतिदिन 50 आराधकों द्वारा एक लाख महामंत्रों का जाप किया जा रहा है। यह आराधना 10 अगस्त को सभी तपस्वियों के पारणा और पूर्णाहुति के साथ पूर्ण होगी। आयोजन में लाभार्थी के रूप में यशवंत जी, निखिल जी, शारदुल जी तथा जीनाश भंडारी परिवार सम्मिलित हैं।
धार्मिक प्रवचनों के दौरान साध्वी श्री कल्पदर्शिता श्रीजी ने कहा कि नवकार महामंत्र सृष्टि का श्रृंगार और पृथ्वी का आधार है। यह मंत्र कामधेनु, कल्पवृक्ष और चिंतामणि से भी श्रेष्ठ माना गया है। इसका जाप सभी विघ्नों का नाश करता है और इच्छित फल देता है। उन्होंने कहा कि अरिहंत का अर्थ है ‘सर्वज्ञ’, जो भीतर पूर्ण ज्ञान को प्रकट कर चुके होते हैं।

प्रवचन में यह भी कहा गया कि एक लाख नवकार महामंत्र के जाप से अरिहंत पद की प्राप्ति संभव है और करोड़ जाप से तीसरे भव में मुक्ति प्राप्त होती है। यह महामंत्र संसार सागर से पार लगाने वाला तिनके के समान है और सभी मंत्रों का सिरमौर है।
साध्वी पूज्य श्री अविचल श्री जी महाराज साहेब ने बताया कि इस मंत्र के प्रत्येक शब्द में 1008 विधाएं निहित हैं। यह मंत्र निगोद जैसे निम्नतम जीवन स्तर से उबारने का मार्ग दिखाता है। सिद्ध पद का प्रतीक रंग लाल है, जो प्रेम का प्रतीक है। जाप से रोग, भय, पिशाच आदि दूर होते हैं, तथा जीवन में स्थिरता, त्याग और समर्पण की भावना आती है।
धर्मसभा में वरिष्ठजनों की उपस्थिति रही जिनमें सोहनलाल कोठारी, हमीरलाल कासवा, अशोक कटारिया, श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता, कमलेश भंडारी, अनिल रूनवाल, रिंकू रूनवाल, प्रदीप भंडारी, इन्द्रसेन संघवी, महेश कोठारी और राजेंद्र कटारिया प्रमुख रहे।