झाबुआ, 21 अगस्त 2025।
paryushan-2025 पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन बावन जिनालय के पौषध भवन में धर्मसभा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर साध्वी कल्पदर्शिता श्रीजी महाराज साहब ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि —
“संधि साधना अर्थात उचित नक्षत्र का समागम होने पर की जाने वाली साधना ही आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग है। गुरु और सत्य को सामान्य जन हमेशा सीधे नहीं जान सकते, लेकिन साधना के माध्यम से आत्मकल्याण संभव है।”

मुक्ति साधना पर जोर
साध्वीश्री ने कहा कि जैन समाज में चाहे स्थानकवासी हों, तेरापंथी, मूर्ति पूजक या दिगंबर — सभी का लक्ष्य एक ही है: मुक्ति साधना।
उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे कोई व्यक्ति अंधेरे कुएं में गिरकर दरवाजे तक पहुँचने से चूक जाता है, वैसे ही हम भी मुक्ति के द्वार तक पहुँचते-पहुँचते साधना से चूक रहे हैं। इसलिए प्रतिदिन धार्मिक क्रियाएं और ज्ञान के साथ कर्मों का क्षय करना आवश्यक है।
पौषध भवन में हुआ प्रतिक्रमण
संध्या कालीन प्रतिक्रमण में वरिष्ठ श्रावक ओ.एल. जैन, कमलेश भंडारी, अनिल रुनवाल, श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता सहित बालक रितिक राठौर, हर्षित, चैत्य प्रकाश मुथा, स्पर्श गौरव रुनवाल, गौतम सचिन पगारिया, दिव्यांश विवेक रुनवाल आदि ने गाथाएं बोलीं और धर्म लाभ उठाया।
paryushan-2025 दर्शन वंदन पूजन अभियान
समाज में “दर्शन वंदन पूजन अभियान” भी चलाया गया। इसके तहत समाज के युवाओं ने प्रभुजी की प्रतिमा और अष्ट प्रकारी पूजन सामग्री को ढोल-नगाड़ों के साथ उन श्रद्धालुओं के घर पहुँचाया जो अस्वस्थता के कारण मंदिर नहीं आ सकते।
अनिल-शोभना जैन, धन्नालाल कटारिया, लीलाबाई भंडारी, रामनारायण जैन और श्रीमती लीलाबाई गोखरू के घर पर विशेष पूजन और वंदन कराया गया।
साध्वी कल्पदर्शिता श्रीजी ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे साधना से चूकें नहीं और संधि साधना का लाभ उठाकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का प्रयास करें।
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