खाद संकट पर हंगामा : मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को कांग्रेस विधायकों ने किसानों के मुद्दों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। गांधी प्रतिमा के सामने खाद संकट के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कांग्रेस विधायक खाली खाद की बोरियां लेकर पहुंचे। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक सचिन यादव समेत अन्य कई विधायकों ने भाग लिया।
सचिन यादव का बयान
मीडिया से बात करते हुए सचिन यादव ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“प्रदेश का किसान आज बुरी तरह से परेशान है। खाद की भारी कमी हो रही है। अगर कहीं खाद मिल भी रहा है, तो वह ब्लैक में नकली खाद के रूप में बेचा जा रहा है।”
यादव ने सरकार पर कृषि क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा:
“सोयाबीन का जो दाम 12 साल पहले था, वह आज भी वही है। महंगाई और उत्पादन लागत बढ़ चुकी है, लेकिन किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। यह सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील है।”
गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन
प्रदर्शन के दौरान विधायक खाली खाद की बोरियां लेकर गांधी प्रतिमा के सामने पहुंचे और नारेबाजी की। उनका कहना था कि सरकार की नीतियां किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय उन्हें कर्ज और संकट की ओर धकेल रही हैं।
कांग्रेस का आरोप: नकली और ब्लैक में खाद की बिक्री
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रदेश में खाद की भारी कमी के चलते किसानों को नकली और महंगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा खाद वितरण की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं की गई है।
सरकार पर उठाए सवाल
कांग्रेस विधायकों ने पूछा:
- क्यों प्रदेश में किसानों को खाद नहीं मिल रहा है?
- नकली और ब्लैक मार्केटिंग पर सरकार कब तक आंखें मूंदे रहेगी?
- किसानों को फसल का उचित मूल्य क्यों नहीं मिल रहा है?

भविष्य की रणनीति
सचिन यादव ने कहा कि कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सड़कों से लेकर सदन तक आवाज उठाती रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर खाद संकट का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस के इस प्रदर्शन ने विधानसभा के भीतर और बाहर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इन आरोपों का क्या जवाब देती है।
मध्यप्रदेश में अलग-अलग जिलों में खाद को लेकर किसान परेशान हो रहे हैं । कहीं खाद की कमी है तो कहीं कालाबाजार में यूरिया खाद के किसानों को ऊंचे दाम चुकाने पड़ रहे हैं । 266.50 रूपए की सरकारी दर पर मिलने वाली यूरिया की बोरी के बाजार में 400-500 रूपए वसूल किए जा रहे हैं । सोसायटी में डिफाल्टर किसानों को खाद नहीं मिलता । नगद विक्रय केन्द्र से सीमित मात्रा में मिलता है ।
कालाबाजारी में खाद के दाम ज्यादा होने से किसान अपनी जरूरत के मुताबिक खाद की खरीदी नहीं कर पा रहा है । खाद की वजह से फसल उत्पादन पर असर पड़ता है । मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर रबी की फसल में गेहूं की खेती की जाती है । ऐसे में खाद की कमी से किसान परेशान है । विपक्ष ने खाद की कमी के मुद्दे को विधानसभा के बाहर और अंदर दोनों जगह उठा रही है । खाद के बिक्री केन्द्रों पर भी सतत निगरानी की जरूरत है ।