झाबुआ।
मुख्यमंत्री के आदेश और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों के बावजूद झाबुआ में खुले मांस बाजार धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी झाबुआ प्रशासन इस आदेश का पालन नहीं करवा पाया है। अब स्थिति और भी बदतर हो गई है।
मांस व्यापारियों द्वारा निकला जाने वाला कचरा – जिसमें मछली, मुर्गे, बकरे और बड़े पशुओं के अवशेष शामिल हैं – शहर के बाहर खुले में फेंका जा रहा है। देविझिरी रोड पर जंगल में सड़क किनारे बड़े-बड़े बोरे पड़े हुए हैं, जिनसे तेज दुर्गंध उठ रही है। गर्मी के इस मौसम में यह बदबू राहगीरों के लिए बड़ी मुसीबत बन चुकी है।

बदबू से परेशान लोग, स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा
वेटनरी डॉक्टर रमेश भूरिया का कहना है कि खुले में मांस का वेस्ट फेंकने से लोगों को श्वास संबंधी बीमारियां, संक्रमण और दूसरी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए खतरा है ।
सीसीटीवी के बावजूद दोषियों का पता नहीं?
शहर में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, फिर भी प्रशासन को यह पता नहीं चल पा रहा कि रोज रात को कौन सा ऑटो देविझिरी रोड की ओर जा रहा है और वहां ये कचरा फेंक रहा है। जबकि थोड़ी सी निगरानी और पूछताछ से यह साफ किया जा सकता है कि बदबू फैलाने वाला ये ‘बायो वेस्ट ऑटो’ किसका है और इसके पीछे कौन लोग हैं।

कहा जा रहा है, किया कुछ नहीं जा रहा
सीएम के आदेश, कोर्ट की गाइडलाइन, और आम लोगों की परेशानी—इन सबके बावजूद प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। सवाल यह है कि जब मांस विक्रय जैसे खुले उल्लंघन नहीं रोके जा सके, तो प्रशासन से बायो वेस्ट के वैज्ञानिक निपटान की उम्मीद करना बेमानी ही लगता है।
अब कार्रवाई की उम्मीद
शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन इस बार मामले को हल्के में नहीं लेगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगा। क्योंकि यह मामला अब सिर्फ गंदगी का नहीं, जनस्वास्थ्य और सिस्टम की नाकामी का भी है।