केंद्र सरकार के अंतरिम बजट में जिले के लिए सबसे बड़ी सौगात दाहोद इंदौर रेल लाइन के लिए अभी तक की सबसे बड़ी राशि की गई है । साल 2024 के अंतरिम बजट इस रेल परियोजना के लिए 600 करोड़ की राशि जारी की है । बजट को लेकर लोगों में उम्मीद जगी है कि परियोजना काम जल्दी पुरा होगा और झाबुआ के लोगों को जल्द ही रेल दिखाई देगी ।
हालांकि परियोजना को शुरू हुआ 16 साल हो गए हैं, शुरूआत 12 सालों में इस परियोजना को लेकर रेलवे और सरकारों ने सुस्ती ही दिखाई । बीच में इस प्रोजेक्ट को होल्ड पर भी डाल दिया गया । साल 2021 में इस परियोजना को होल्ड से हटाया गया और अब पिछले तीन सालों मेंइसके बजट में बढोतरी की गई है ।
अभी तक सबसे बड़े बजट के प्रावधान के रूप में मिली है दाहोद इंदौर रेल लाइन के लिए 600 करोड़ का प्रावधान किया गया है इस राशि को मिलाकर अब तक जारी राशि 1425 करोड रुपए हो गई है यह रेल लाइन की लागत 1640 करोड़ का 87% लगभग है ।
हालांकि यह आकलन 2012 के अनुसार है और अब 2024 चल रहा है तो निश्चित रूप से लागत राशि बढ़ चुकी होगी जिस गति से रेलवे लाइन का काम चल रहा है , अफसरों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि साल 2026 तक काम पूरा हो सकता है ।
दाहोद इंदौर रेल परियोजना की शुरूआत 2008 में हुई थी ।
दाहोद इंदौर लाइन की बात करें तो यह करीब 200 किलोमीटर की लंबी परियोजना है जो दाहोद से शुरू हुई है । दाहोद से झाबुआ के बीच काम में दो सालों से तेजी दिखाई दे रही है । परियोजना पर अब तक 851 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं । यानी लागत का आधा खर्च हो चुका है इसमें से अधिकांश राशि पिछले 3 सालों में जारी की गई है ।
कुल लागत 1640 करोड रुपए है जो 2012 के आकलन के अनुसार है । इस रेलवे लाइन में 41 बड़े ,290 छोटे अंडर पास और और ओवरपास शामिल है । जिले में पिटोल, झाबुआ फतेहपुर अमलवानी और पानपुरा में स्टेशन बनाएं जाने हैं ।
दाहोद इंदौर रेल लाइन के लिए अंतरिम बजट में 600 करोड़ का प्रावधान किया गया है पिछले बजट में दाहोद इंदौर रेल लाइन को 440 करोड रुपए दिए गए थे इस बार अब तक की सबसे बड़ी राशि दी गई है इस बार बजट आवंटन को मिलाकर परियोजना के लिए 2181 करोड़ का आवंटन हो चुका है 2008 से लेकर 2020 तक परियोजना के लिए कुल मिलाकर 756 करोड रुपए दिए गए 2021 से इस साल तक का आवंटन 1425 करोड रुपए हो चुका है ।
दाहोद इंदौर रेल परियोजना की शुरुआत 8 फरवरी 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने की थी तब यूपीए सरकार ने 2011 तक झावा में ट्रेन लाने का भरोसा दिया था दाहोद इंदौर रेल लाइन की लागत 678 करोड़ पर थी 4 साल बाद यानी की 2012 में रेलवे बोर्ड ने पुनः आकलन किया तो रेल इस परियोजना की लागत 1640 करोड रुपए मानी गई मैं 2020 में रेलवे बोर्ड ने प्रोजेक्ट को होल्ड पर डाल दिया था दिसंबर 2021 में इसे हॉल से हटाएगा ।
साल दर साल अगर हम इस परियोजना को लेकर राशि देखें तो 2008 में 6 करोड रुपए, 2009 में 20 करोड़, 2010 में 40 करोड़, 2011 में 35 करोड़, 2012 में 55 करोड़, 2013 में 50 करोड़ ,2014 में 50 करोड़, 2015 में 70 करोड़, 2016 में 100 करोड़, 2017 में 50 करोड़, 2018 में 30 करोड़ ,2019 में 150 करोड़ ,2020 में 100 करोड़ , 2021 में 119 करोड़ , 2022 से 90 करोड़ ,2022-23 में 440 करोड़ और 2024 25 के बजट में 600 करोड रुपए की राशि जारी का प्रावधान किया गया है ।
16 साल लंबे खींच चुके इस प्रोजेक्ट को लेकर अब भी सवाल हैं । 2024 के लोकसभा चुनाव सर पर हैं और ऐसे में झाबुआ शहर में रेल सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है । झाबुआ में रेल को लेकर लंबे समय से शहर वासी सपना देख रहे हैं । 2008 में जब इस रेलवे परियोजना को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था तब लोगों में उम्मीद जगी थी और दावा ये किया गया था कि साल 2011 तक इस रेलवे परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा।
लेकिन तब से लेट लतीफ का शिकार हो रही है ये परियोजना 16 साल के बाद भी इंतजार कर रही है । विडंबना यह है कि अब तक पटरी नहीं बिछी है लेकिन रेलवे स्टेशन का काम बनना शुरू हो चुका है। जावा के पास रेलवे स्टेशन बनाया जा रहा है यह करीब 1206 मी का रेलवे स्टेशन यार्ड बनाया जा रहा है । जहां पर मुख्य स्टेशन के साथ-साथ में स्टॉफ क्वार्टर, गार्डन और अन्य सुविधा मिलेगी ।
यहां पर दो प्लेटफार्म बनाया जा रहे हैं और इसको लेकर काम तेजी से चल रहा है । यहां काम कर रहे साइड इंजीनियर के मुताबिक अगले 4 से 5 महीना में स्टेशन का पूरा काम कर लिया जाएगा ।
साल 2008 में दाहोद इंदौर रेल परियोजना की शुरुआत की गई थी दवा यह था कि साल 2011 में से पूरा कर लिया जाएगा लेकिन उसके बाद सरकार बदल गई 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झाबुआ में 2013 के विधानसभा चुनाव एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे ।
तब उन्होंने इस रेल परियोजना को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर सवाल भी खड़े किए थे और यह कहा था कि अगर डबल दिन की सरकार आ गई तो इस रेल परियोजना को गति मिलेगी और जल्द से जल्द इस रेल परियोजना को पूरा किया जाएगा ।
साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने । अब साल 2024 से इस परियोजना के 16 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अब तक झाबुआ में रेल की पटरी दिखाई नहीं दे रही है हालांकि उम्मीद यह जगह है जिस तरह से पिछले 3 सालों में बजट जारी किया गया है उसे लोगों में एक उम्मीद यह है कि जल्द से जल्द इसका काम पूरा हो सकता है ।
क्षेत्रीय सांसद गुमान सिंह डामोर का कहना है कि पिछले 3 सालों में उनके प्रयासों से रेलवे ने इस परियोजना को लेकर ज्यादा से ज्यादा बजट जारी किया गया है और उम्मीद यह है कि 2025- 26 तक झाबुआ में रेल दौड़ने लगेगी ।
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