पॉलिटेक्निक छात्रों का कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना, मांगों के समाधान के लिए दी तीन दिन की चेतावनी

पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों ने शुक्रवार को कलेक्टर कार्यालय के बाहर सड़क पर धरना देकर अपनी समस्याओं के समाधान की मांग की । इस दौरान सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो गई। छात्रों का कहना है कि हॉस्टल में गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल रहा, पीने के पानी की समस्या है, और सफाई व्यवस्था भी लचर है।

छात्रों ने एबीवीपी के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने की कोशिश की, लेकिन उन्हें गेट के बाहर ही रोक दिया गया। इसके बाद छात्र सड़क पर धरने पर बैठ गए। कुछ समय बाद एसडीएम सत्यनारायण मौके पर पहुंचे और छात्रों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा और इसके लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

पॉलिटेक्निक छात्रों का आरोप भोजन की गुणवत्ता ठीक नहीं,

छात्रों ने आरोप लगाया कि हॉस्टल में उन्हें निम्न गुणवत्ता वाला भोजन दिया जाता है, और मेस प्रभारी कभी भी खाने की गुणवत्ता की जांच नहीं करते। उन्होंने प्राचार्य से मांग की कि वे खुद भोजन करें, ताकि उन्हें इसकी असली स्थिति का पता चले। इसके साथ ही छात्रों ने छात्रवृत्ति और स्टेशनरी की कमी पर भी नाराजगी जताई।

पॉलिटेक्निक कॉलेज छात्रों का धरना प्रदर्शन।

छात्रों का कहना है कि हॉस्टल में सफाई का अभाव है, जिससे जहरीले जानवरों का खतरा बना रहता है। वहीं, कमरों में पर्याप्त पंखे भी नहीं हैं, जिससे उन्हें असुविधा होती है।

प्राचार्य गिरीश गुप्ता का कहना है कि छात्रों की अधिकतर मांगों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। केवल ऑटोकेड सॉफ्टवेयर की कमी है, जिसके लिए प्रयास जारी हैं। पानी की समस्या पर उन्होंने कहा कि हॉस्टल में आरओ सिस्टम लगाया गया है, लेकिन आरओ के पानी से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। फिर भी छात्रों की मांग पर यह सुविधा दी गई है, जबकि स्टाफ ट्यूबवेल का पानी पीता है।

भोजन की गुणवत्ता पर प्राचार्य ने कहा कि वे खुद और स्टाफ भी वही खाना खाते हैं जो छात्रों के लिए तैयार किया जाता है। हालांकि, छात्रों का दावा है कि स्टाफ के लिए अलग से भोजन तैयार होता है। छात्रवृत्ति को लेकर प्राचार्य ने स्पष्ट किया कि छात्रों को उनकी पात्रता के अनुसार ही राशि मिलती है, जो 1000 रुपये प्रति माह के हिसाब से उपस्थिति के आधार पर दी जाती है।

सफाई के मुद्दे पर प्राचार्य ने तर्क दिया कि कैंपस का क्षेत्रफल काफी बड़ा है, जिसके कारण पूरे परिसर की नियमित सफाई संभव नहीं हो पाती।

छात्रों ने प्रशासन को तीन दिन की समयसीमा दी है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

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