झाबुआ शहर में लगातार बाइक चोरी बढ़ती जा रही है । झाबुआ शहर के अलग-अलग इलाकों में लगातार बाइक चोरी हो रही है । लेकिन पुलिस केवल शिकायती आवेदन लेकर रख लेती है । जबकि घटनाओं के सीसीटीवी फूटेज भी मौजूद है, जिसमें साफ बदमाश बाइक चोरी करते हुए दिखाई भी दे रहे हैं , लेकिन इसके बावजूद पुलिस की सुस्ती आम लोगों पर भारी पड़ रही है ।
17 जून को शहर में दो जगह ऐसी ही वारदात हुई, एक जगह से बदमाश गाड़ी ले जाने में सफल हुए । शहर बाबेल चौराहे के पास विजय कटकानी की बाइक बदमाश हैंडल तोड़कर ले गए । घटना करीब रात 12 बजकर 14 मिनट की है । हैरान की बात ये की जहां बाइक चोरी वहां महज कुछ कदमों की दूरी पर बाबेल चौराहे पर पुलिस की प्वाइंट होता है । लेकिन अगर पुलिस वहां मौजूद होती तो बाइक चोरी नहीं होती ।
विजय कटकानी के बाइक चोरी के पहले यही दोनों बदमाश सुभाष मार्ग में वकील सौरभ सक्सेना की बाइक चोरी करने पहुंचे थे, बदमाशों ने बाइक हैंडल तोड़ा लेकिन उसे ले जा नहीं पाए, क्योंकि गाड़ी जंजीर से बंधी हुई थी । जिसके बाद बदमाश बाइक वहीं छोड़कर वहां बाबेल चौराहे पर पहुंचे और विजय कटकानी की बाइक उड़ा ले गए ।

बाइक चोरी की ऐसी घटना शहर के लक्ष्मीबाई मार्ग में रहने वाले राजेश मेहता के साथ हुई । लक्ष्मीबाई मार्ग राजवाड़ा चौक से लगा हुआ है । यहां भी बाइक चोरी होना पुलिस की गश्ती पर सवाल खड़े कर रही है । 3 जून को बदमाश उनके घर बाहर खड़ी उनकी प्लसर बाइक चुरा ले गए । जब कोतवाली पर उन्होंने इसकी शिकायत की तो उनसे आवेदन लिखवा कर रख लिया, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की ।
वहीं घटना के 15 दिन से ज्यादा समय बीत चुका है, ना तो बाइक मिली है और ना ही इसकी एफआईआर दर्ज की गई है । यहां भी हैरानी बात ये कि बदमाश में यहां चोरी की बाइक से बाइक चुराने आए । और चुराकर अपने साथ ले गए । जिनके सीसीटीवी फूटेज भी हैं, लेकिन अब तक पुलिस खाली हाथ है ।

शहर में बढ़ती बाइक चोरियां लचर पुलिसिंग की ओर इशारा कर रही है , वहीं पुलिस गश्ती और चैक प्वाइंट पर सवाल उठ रहा है । अगर पुलिस सक्रिय है तो फिर बदमाश शहर में इस तरह की अंजाम देने के बाद भागने में भी सफल कैसे हो रहे हैं । 5 किमी दायरे में भी झाबुआ शहर नहीं फैला हुआ है । शहर के मुख्य चौराहों पर ही ऐसी वारदातें हो रही है, जहां पुलिस की गश्ती होनी चाहिए और मौजूदगी भी लेकिन लगातार बढ़ती वारदातों ने पुलिस और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं ।
पुलिस कप्तान को भी सोचना होगा कि सोशल पुलिसिंग अच्छा है, लेकिन रियल पुलिसिंग से भी जनता की मदद की जा सकती है ।
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