रविवार को झाबुआ में मध्य प्रदेश सरकार के दो-दो मंत्री का आगमन हुआ और जगह-जगह उनके स्वागत की तैयारी की गई। टंट्या मामा चौराहा से लेकर स्व. दिलीप सिंह भूरिया तक स्वागत हुआ लेकिन इस पूरे स्वागत के दौरान राजवाड़ा पर हुई नुक्कड़ सभा जन चर्चा का विषय बन गई। हालत यह रहे के मंत्रियों के स्वागत में मंत्रियों के काफिले के साथ जो भीड़ चल रही थी उसी ने थोड़ी बहुत लाज बचाई, वरना बीजेपी के इस कार्यक्रम में यहां भीड़ नहीं के बराबर थी।
मंत्री निर्मला और नागरसिंह का राजवाड़ा चौक पर हुआ स्वागत ।
मंत्रियों के पहुंचने के ठीक पहले तक कुर्सियां खाली थी और भाजपा के वरिष्ठ नेता खाली कुर्सियों को देखकर अपनी भड़ास निकाल रहे थे। एक नेताजी की नज़रें जब केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाते गिनाते खाली कुर्सियों पर पड़ी, तो कहा बैठे की युवाओं संगठन का ककहरा पढ़ानेे की जरूरत है। नेताजी कहने लगे कि संगठन में सूचना हुई या नहीं हुई, हुई तो कार्यकर्ता क्यों नहीं पहुंचे, इस पर मंथन किया जाएगा। कार्यक्रम के बाद कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर भी अपनी पीड़ा जाहिर की। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि जब बैठकों में भीड़ जमा करनी हो तो सूचना दी जाती है, जब मंत्री आते हैं तो कार्यकर्ताओं को भुला दिया जाता है।

जब नेताजी संगठन के युवा नेताओं को काम करने के तरीके सीखने की नसीहत दे बैठे, तब मंच पर बैठे कुछ पदाधिकारियों को यह नागवार गुजरा और येन केन प्रकरेण नेताजी को बिठाने की तैयारी की जाने लगी। कई बार टोका टोकी से नेताजी नाराज हो गए और माइक छोड़ जा बैठे सोफे पर। राजवाड़ा पर स्वागत की तैयारी खूब की गई आतिशबाजी ढोल धमाके फुल माला सब कुछ था, बस कार्यकर्ता कार्यक्रम की गरिमा के अनुरूप नहीं थे! यहां का नजारा ऐसा था कि दो नंबरी हर काम में कार्यकर्ताओं से आगे निकलते नज़र आए ।

मंत्री नागर सिंह चौहान ने अपनी टीस भी बता और विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार पर मलाल भी जाहिर किया । लेकिन झाबुआ शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा चौक पर, शहर के बीचो बीच में जमा भीड़ को देखकर वह समझ गए होंगे कि संगठन की हार यहां पर क्यों हुई, गुटें में बटी हुई बीजेपी दावे तो खूब करती है लेकिन नतीजे तक नहीं पहुंच पाती।
बाकी तो जो है सो है ही!
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