अवैध कबाड का अवैध कारोबार इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस व्यवसाय के लिए न तो लाइसेंस की आवश्यकता है और न ही किसी अनुमति की। प्रशासन और पुलिस की तरफ से इस धंधे पर कोई रोक-टोक नहीं होने से कबाड़ियों के हौसले बुलंद हो गए हैं।
जिला मुख्यालय समेत पूरे जिले में एक सैकड़ा से अधिक स्क्रैप भंगार की दुकानें संचालित हो रही हैं। मुख्यालय में ही लगभग 12 से अधिक ऐसी दुकानों में बड़े पैमाने पर यह व्यवसाय चल रहा है। इन दुकानों में बेरोकटोक और बेखौफ होकर कारोबार चल रहा है, वहीं कई जगहों पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके भी ये दुकानें संचालित हो रही हैं।
चोरी की बढ़ती घटनाओं का संबंध अवैध कबाड़ कारोबार से
झाबुआ शहर में कबाड़ी बिना किसी सत्यापन के साइकिल, मोटरसाइकिल, और अन्य सामानों को बेधड़क खरीद रहे हैं। यह व्यवसाय जिले के बाहर से आए लोगों द्वारा भी संचालित किया जा रहा है। पुलिस की निष्क्रियता के चलते कबाड़ियों पर नकेल नहीं कसी जा रही है, और कभी-कभी औपचारिकता के लिए कार्रवाई की जाती है।
शहर में आए दिन चोरी की घटनाएं होती है । जिसमें नशा करने वाले युवाओं का हाथ होने की बात सामने आती है । अपने नशे की जुगाड़ के लिए नशेड़ी चोरी का सामान बेचकर रूपयों का इंतजाम करते हैं , और उसे अपने नशे के लिए खर्च करते हैं । इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं । इन चोरी की घटनाओं में बड़ी और छोटी दोनों तरह की वारदातें शामिल हैं ।
इस क्षेत्र में अक्सर लोहे के सामान, सोलर प्लेट, साइकिल, और बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। सार्वजनिक स्थानों से दिन-दहाड़े बाइकें चोरी हो रही हैं। चोरी के बाद लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर नजरअंदाज कर देती है। इसके चलते चोरी की गई साइकिल और बाइक के कलपुर्जे कबाड़ में बेचे जाते हैं, जिससे अपराधियों को प्रेरणा मिलती है।
बिना लाइसेंस चल रहा करोड़ों का धंधा
भंगार स्क्रैप के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, लेकिन इसके लिए लाइसेंस होना आवश्यक है। शहर में करीब आधा दर्जन कबाड़ी की दुकानें हैं, लेकिन उनके पास कोई लाइसेंस नहीं है। सूत्रों के अनुसार, झाबुआ में संचालित कबाड़ व्यवसायी चोरी का माल आसानी से जिले की सीमा से बाहर भेजकर खपाते हैं।
कई कबाड़ी बच्चों और नशेड़ियों से चोरी के माल खरीदते हैं, जिससे ये किशोर चोरी के धंधे में शामिल हो जाते हैं। इन किशोरों की सामाजिक स्थिति कमजोर होने के कारण, वे चोरी के मार्ग पर चलने को मजबूर हो जाते हैं।
पुलिस कार्रवाई का अभाव
कबाड़ी जो इस तरह के अवैध कामों में लिप्त हैं । उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले और बढ़ गए हैं। अगर पुलिस सख्ती से कार्यवाही करे, तो चोरी किए गए सामानों को बरामद किया जा सकता है। जिले के कबाड़ियों के पास निर्माण सामग्री, वाहनों के चक्के, और अन्य सामग्रियों की भरपूर मात्रा है, जो आसानी से बरामद हो सकती है।
अवैध दुकानों का प्रभाव और प्रशासन की चुप्पी
जिले में सौ से अधिक भंगार स्क्रेप की दुकानें चल रही हैं, और इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। कबाड़ी बेखौफ होकर चोरी के सामानों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं, जिससे समाज में अपराध बढ़ रहा है।
न्यायालय ने कबाड़ी दुकानों को आबादी से बाहर करने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रशासन ने अब तक इन आदेशों का पालन नहीं किया है। इसके साथ ही, कबाड़ियों के पास बिना दस्तावेजों के वाहनों की खरीद-बिक्री हो रही है।
अग्नि सुरक्षा का अभाव: बड़ा खतरा
जिले में कबाड़ के गोदामों में आग लगने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। झाबुआ शहर में नगर पालिका के पीछे कुम्हारवाड़ा की सकरी गलियों में चल रहे कबाड़ व्यवसाय से प्रशासन को पहले ही अवगत कराया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
अवैध दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता
झाबुआ में बड़े पैमाने पर कबाड़ी दुकानें संचालित कर रहे हैं । , जिनमें से कई के पास ना तो कोई अनुमति है और ना ही कोई लाइसेंस। यदि पुलिस और प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करें, तो समाज में बढ़ते अपराध को रोका जा सकता है।
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