झाबुआ। जिले के ग्राम रामगढ़, तहसील पेटलावद में रहने वाले दिव्यांग आदिवासी हरचंद मेड़ा ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने जनसुनवाई में आवेदन देकर बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से अपने पिता के बनाए घर में निवास कर रहे हैं, लेकिन अब तहसील कार्यालय द्वारा उन्हें अतिक्रमण बताकर घर तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है।

हरचंद मेड़ा ने बताया कि उनके दिवंगत पिता ने लगभग 50000 रुपये की लागत से यह कच्चा मकान बनवाया था, जिसमें वे बचपन से रहते आ रहे हैं। अब प्रशासन इस घर को अतिक्रमण बताते हुए उन्हें हटाने की कोशिश कर रहा है, जबकि हरचंद का आरोप है गांव में ही सरकारी जमीनों पर 30 से अधिक अन्य लोगों ने भी मकान बनाए हुए हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
प्रार्थी ने कहा कि वह विकलांग है। उसका जीवन यापन पूरी तरह इसी मकान और व्यवसाय पर निर्भर है। उन्होंने मांग की है कि यदि प्रशासन उन्हें हटाता है, तो उन्हें वैकल्पिक स्थान पर पुनर्वास और रोजगार की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गांव के प्रभावशाली लोगों की शिकायत के बाद यह कार्रवाई की जा रही है, जबकि उनके जैसे गरीब और दिव्यांग व्यक्ति को बेघर करना पूरी तरह से अन्याय है। हरचंद ने 30 लोगों के नामों की सूची भी दी है, आरोप लगाया गया कि इन लोगों के भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हैं लेकिन प्रशासन केवल उनके ऊपर कार्रवाई कर रहा है ।
प्रशासन की ओर से अभी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह मामला अब जनसुनवाई के माध्यम से कलेक्टर तक पहुंच चुका है। आवेदन के माध्यम से न्याय की गुहार लगाई है, सरकारी अतिक्रमण सभी का हटाना चाहिए, केवल उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाए!