गर्मी के साथ झाबुआ जिले में पेयजल संकट गहराने लगा है। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में पानी की टंकी और घर-घर नल तो लगाए गए, लेकिन योजना अब लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है।
मामला है महूडी डूंगरी गांव का, जहां लोग पानी के हेडपंप के भरोसे हैं। यही हेडपंप अब सुर्खियों में है। ग्रामीणों के अनुसार, हेडपंप खराब हो गया था, जिसे सुधरवाने के लिए कुछ लोगों ने पैसे जुटाए। मरम्मत के बाद जिन लोगों ने पैसा दिया, उन्होंने हेडपंप पर रस्सी बांध दी और दूसरों को पानी भरने से रोक रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि यह हेडपंप आमजन की सुविधा के लिए है, न कि किसी की निजी संपत्ति। कुछ लोगों ने ताला लगाने की भी शिकायत की, हालांकि मौके पर ताला नहीं बल्कि सिर्फ रस्सी बंधी हुई मिली। जब रस्सी को खोलने जाते हैं तो विवाद का अंदेशा रहता है!
यह मामला न सिर्फ जल संकट की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि पीएचई विभाग की असलियत को भी उजागर करता है, जो अब भी ‘हर घर जल’ के दावे कर रहा है। सवाल ये है कि आखिर किसने हैंडपंप सुधारने के पैसे लिए, किसने रस्सी बांधी, और विभाग कब तक आंख मूंदे बैठा रहेगा?