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झाबुआ के आदिवासी युवा आयुष सिंगाड़ ने पाई MPPSC में सफलता, बने सहायक प्राध्यापक

झाबुआ के आदिवासी युवा आयुष सिंगाड़ ने पाई MPPSC में सफलता, बने सहायक प्राध्यापक

झाबुआ, 31 मई 2025।
सपनों की कोई सीमा नहीं होती—यह साबित किया है झाबुआ जिले के एक आदिवासी युवा आयुष सिंगाड़ ने। सीमित संसाधनों, ग्रामीण परिवेश और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, आयुष ने MPPSC द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2022 को पहले ही प्रयास में पास कर जिले और समाज का नाम रोशन किया है।

ग्राम जामदा (मेघनगर तहसील) निवासी आयुष ने हिंदी साहित्य विषय से परीक्षा में सफलता पाई है। मात्र 24 वर्ष की उम्र में हासिल यह उपलब्धि उन्हें न सिर्फ एक पद देती है, बल्कि वह उन हजारों ग्रामीण युवाओं के लिए आशा की किरण बन जाते हैं, जो कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ने का सपना देखते हैं।

आयुष का सफर आसान नहीं था। उनके पिता मोहन सिंगाड़ और माँ बाबुड़ी सिंगाड़ खेती और मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। फिर भी, उन्होंने बेटे की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। आयुष की पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूल और कॉलेज से हुई। उन्होंने पहले UGC NET, फिर पीएसडी परीक्षा पास की और अब विक्रम विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं।

झाबुआ के आदिवासी युवा आयुष सिंगाड़ ने पाई MPPSC में सफलता, बने सहायक प्राध्यापक

आयुष कहते हैं, “मैंने कभी कोचिंग नहीं ली, सिर्फ आत्मविश्वास और निरंतर पढ़ाई से यह मुकाम पाया। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, लेकिन अगर लगन हो तो रास्ता खुद बन जाता है।”

इस सफलता से उनके गांव, परिवार, शिक्षकों और शुभचिंतकों में हर्ष की लहर है। आयुष अब खुद युवाओं को गाइड करने और शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा देने का संकल्प ले चुके हैं।

संदेश स्पष्ट है – यदि इरादे मजबूत हों, तो गांव की गलियों से भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचा जा सकता है।

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