Jhabua । शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, झाबुआ में एडमिशन लेने वाली आदिवासी छात्राएं पिछले दो साल से कॉलेज फीस वापसी के लिए दर-दर भटक रही हैं। कई बार जनसुनवाई में शिकायत के बावजूद अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
आवेदक मनीषा कटारा और मनीषा मचार ने बताया कि उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में प्रथम वर्ष की नर्सिंग में दाखिला लिया था। दोनों से 35-35 हजार रुपये फीस ली गई थी, लेकिन बाद में उन्हें प्रवेश निरस्ती की सूचना थमा दी ई, ये कहकर की उन्होंने फीस जमा नहीं करवाई । छात्राओं का कहना है कि सत्र को बीच में छोड़ना पड़ा, अब उन्हें फीस भी नहीं लौटाई जा रही है ।
छात्राओं ने बताया कि वे अब तक चार बार जनसुनवाई में आवेदन दे चुकी हैं, लेकिन न तो कॉलेज ने फीस लौटाई और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की। वे अपनी फीस रसीद और जरूरी दस्तावेज भी बता चुकी हैं।

छात्राओं की मांग, जल्द लौटाई जाए फीस,
छात्राओं का कहना है कि जब कॉलेज में पढ़ाई ही शुरू नहीं हुई, और सीट भी शून्य हो गई, तो फिर फीस लौटाने में देरी क्यों? गरीब और आदिवासी छात्राएं मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। उन्हें न्याय मिलना चाहिए और उनकी जमा की गई फीस तत्काल लौटाई जानी चाहिए।
कॉलेज प्रबंधन की सफाई,छात्राओं ने अलग-अलग जगह की पढ़ाई, दोनों बीच में छोड़ी ।
वहीं इस मामले में कॉलेज से जुड़े ओम शर्मा का कहना है कि छात्राओं ने तीन महीने तक उनकी संस्था में पढ़ाई की, फिर अंग्रेजी विषय की वजह बताकर जीएनएम कॉलेज में प्रवेश ले लिया। वहाँ भी दो महीने बाद पढ़ाई छोड़ दी। अब वे फीस वापसी की माँग कर रही हैं, जबकि कॉलेज की ओर से बकाया फीस की माँग की जा रही है।
आवश्यक है निष्पक्ष जांच, ताकी सच आ सके सामने ।
मामले में दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात कह रहे हैं। एक ओर छात्राएं आर्थिक नुकसान और मानसिक पीड़ा की बात कर रही हैं, तो दूसरी ओर कॉलेज प्रबंधन फीस वापसी से इनकार कर रहा है। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच करे, ताकि सच्चाई सामने आए और किसी के साथ अन्याय न हो।