झाबुआ: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। डेढ़ साल पहले जिस महिला को झाबुआ पुलिस ने मृत घोषित कर दिया था, वह अचानक थाने पहुंच गई और खुद को जिंदा बताया। इस मामले में चार आरोपी हत्या के आरोप में जेल की सजा काट रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
माही की गूंज भानुप्रतापपुर के अनुसार, ललिता नाम की महिला को 18 महीने पहले मृत घोषित कर दिया गया था। पुलिस ने उसके पिता की शिकायत पर मामला दर्ज किया था और चार लोगों को हत्या का दोषी मानते हुए जेल भेज दिया था। लेकिन हाल ही में ललिता खुद थाने पहुंची और बताया कि वह जिंदा है।
कैसे हुई गलती?
ललिता के पिता ने 9 सितंबर 2023 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गई है। पुलिस ने शव की पहचान किए बिना ही उसे ललिता मान लिया और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में इन्हें अदालत ने सजा भी सुना दी।20 महीने तक जेल की सजा काटने के बाद अब जाकर उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है, क्योंकि जिसकी हत्या के आरोप में ये चारों सजा काट रहे थे, उसने खुद ही आकर बताया की वो जिंदा है ।

ललिता ने बताई अपनी कहानी
ललिता ने बताया कि वह अपने घर से भागकर दूसरे गांव चली गई थी। कोटा में जाकर मजदूरी कर रही थी । इस दौरान उसने अपनी पहचान छुपाकर जीवन यापन किया। जब उसे पता चला कि उसके परिवार ने उसे मृत मान लिया है वो वापस लौटी । हांलाकि इस कहानी के भी कई पैंच हैं । जिस सवाल भी उठ रहे हैं ।
दूसरी जेल में बंद चार लोग के वकील युनूस लोदी ने इसे लचर पुलिस अनुसंधान का नमूना बताया है । वकील लोदी सीधे-सीधे थांदला थाना प्रभारी राजुकमार कुंसारिया पर सवाल खड़े करते हैं । उनका सवाल है कि डीएनए रिपोर्ट के आने का इंतजार क्यों नहीं किय गया, आधार कार्ड से पहचान ट्रेस क्यों नहीं की गई । अगर ये समय रहते होता तो चार लोगों 20 महीने जेल में अपनी जिंदगी के बरबाद नहीं करना पड़ते ।