झाबुआ, मध्य प्रदेश, 17 जुलाई 2025
मानसून के मौसम में झाबुआ के बाजारों में ककोड़ा (जिसे कंटोला, वन करेला या मीठा करेला भी कहते हैं) की मांग आसमान छू रही है। इस मौसमी सब्जी की कीमत स्थानीय बाजारों में 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, फिर भी लोग इसे खरीदने के लिए उत्साहित हैं। कम कड़वाहट और औषधीय गुणों से भरपूर ककोड़ा न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी वरदान है।
ककोड़ा: पौष्टिकता का पावरहाउस
ककोड़ा सब्जी है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान, और अन्य राज्यों में मानसून के दौरान लोकप्रिय है। 100 ग्राम ककोड़ा में केवल 17 कैलोरी होती हैं, जो इसे वजन घटाने के लिए आदर्श बनाता है। इसमें फाइबर, विटामिन A, C, B-कॉम्प्लेक्स, डी, और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह डायबिटीज नियंत्रण, पाचन सुधार, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। आयुर्वेद में ककोड़ा की जड़ और पत्तियों का उपयोग सिरदर्द, पथरी, और त्वचा रोगों के इलाज में भी किया जाता है।

झाबुआ में क्यों खास है ककोड़ा?
झाबुआ के स्थानीय किसान और विक्रेता बताते हैं कि ककोड़ा की खेती मुख्य रूप से घरेलू उपयोग के लिए की जाती है, लेकिन कुछ किसान इसे जंगलों से एकत्रित कर बाजार में बेचते हैं। इस साल इसकी कीमत 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, जो इसकी उच्च मांग और सीमित उपलब्धता को दर्शाता है। एक स्थानीय विक्रेता रमेश भूरिया ने बताया, “ककोड़ा की सब्जी और अचार दोनों की मांग है। लोग इसके स्वाद और सेहत लाभ के लिए इसे खरीद रहे हैं।”
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