शाजापुर में 271 वर्षों से जारी है अनूठी परंपरा, रात 12 बजे हुआ कंस वध का आयोजन
शाजापुर में हर साल की तरह इस बार भी अनोखे कंस वधोत्सव का आयोजन किया गया। रात 12 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में श्रीकृष्ण की सेना ने प्रतीकात्मक रूप से कंस का वध कर, सैकड़ों वर्षों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन किया। मथुरा के बाद केवल शाजापुर ही एक ऐसा स्थान है, जहाँ यह अनोखी परंपरा निभाई जाती है।
कंस के पुतले का वध और गवली समाज की भूमिका
वधोत्सव के दौरान कंस के बड़े पुतले को नीचे गिराया गया, जिसके बाद गवली समाज के लोगों ने उसे लाठियों से पीटकर कंस का वध किया। कंस की सेना और कृष्ण की सेना के बीच प्रतीकात्मक वॉक युद्ध ने दर्शकों का रोमांच बढ़ा दिया। इस आयोजन को देखने के लिए हजारों लोग उमड़े और पूरी रात इस अनूठे उत्सव का आनंद लिया।
कंस वध ,271 साल से चली आ रही परंपरा ।
इस आयोजन की खास बात यह है कि शाजापुर में कंस वध की यह परंपरा पिछले 271 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। इस उत्सव में स्थानीय लोग बड़े जोश और श्रद्धा के साथ हिस्सा लेते हैं और भगवान कृष्ण के विजय का उत्सव मनाते हैं। यह आयोजन समाज के सभी वर्गों को एकजुट करता है और सांस्कृतिक धरोहर को सजीव बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
अनूठे उत्सव के प्रति लोगों का उत्साह

कंस वधोत्सव के दौरान शाजापुर की सड़कों पर हजारों लोगों की भीड़ देखी गई। लोग देर रात तक इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए मौजूद रहे। आयोजन के दौरान बच्चों और युवाओं में विशेष उत्साह देखा गया, जो इसे देखने के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ पहुंचे थे।
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