रतलाम : पुलिस परिवार की अनोखी मिसाल, थाने में हुई महिला पुलिसकर्मी की गोद भराई

रतलाम थाने में महिला पुलिस आरक्षक की गोद भराई

रतलाम, मध्य प्रदेश – पुलिस की कड़ी ड्यूटी और अनुशासन के बीच खुशियों और अपनापन का ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है। रतलाम जिले के डीडी नगर थाने में एक अनूठा और भावनात्मक पल तब देखने को मिला, जब महिला आरक्षक शानू जमरा की गोद भराई की रस्म पूरे धूमधाम और रीति-रिवाज के साथ थाना परिसर में संपन्न हुई।

डीडी नगर थाना प्रभारी रविंद्र दंतोडिया ने पिता का फर्ज निभाते हुए शानू की गोद भराई की रस्मों को न सिर्फ करवाया, बल्कि पूरे स्टाफ को एक परिवार की तरह इस आयोजन में शामिल किया।

रतलाम पुलिस का मानवीय चेहरा ।

शानू जमरा, जो धार जिले की रहने वाली हैं और पिछले छह महीने से डीडी नगर थाने में तैनात हैं, अपने पिता को बचपन में ही खो चुकी थीं। इस कमी को महसूस करते हुए, थाना प्रभारी दंतोडिया ने उनकी गोद भराई को विशेष बनाने की ठानी। थाने के भीतर टेंट लगाकर रस्में निभाई गईं। महिला पुलिसकर्मियों ने मेहंदी लगाई, पारंपरिक गीत गाए, और पूरे रीति-रिवाजों के साथ समारोह को संपन्न किया।

पुरुष पुलिसकर्मी भी खुशी से झूमते और नाचते नजर आए। यह नजारा किसी पारिवारिक आयोजन से कम नहीं था।

रतलाम थाने में गोद भराई.

थाना प्रभारी रविंद्र दंतोडिया ने कहा, “जब मैंने शानू को मायूस देखा, तो महसूस हुआ कि उसे अपने परिवार की जरूरत है। मैंने उसे अपनी बेटी समझकर यह आयोजन किया। पूरे स्टाफ ने परिवार की तरह हर रस्म निभाई।”

शानू ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे खास पल है। मुझे लगा जैसे मैं अपने परिवार के बीच हूं। प्रभारी साहब ने पिता की तरह प्यार और आशीर्वाद दिया। महिला पुलिसकर्मियों ने मां और बहनों का रोल निभाया, और पुरुष स्टाफ ने भाइयों की तरह मुझे संभाला।”

रतलाम पुलिस विभाग में पिछले कुछ समय से मानवीय पहलुओं पर जोर दिया जा रहा है। हाल ही में एसपी अमित कुमार ने पुलिसकर्मियों को उनके जन्मदिन पर विशेष छुट्टी देने की पहल की थी। अब डीडी नगर थाना प्रभारी द्वारा इस भावुक आयोजन ने पुलिस परिवार की गर्मजोशी और अपनापन को और गहरा कर दिया है।

यह आयोजन न केवल पुलिस विभाग में काम के तनाव को कम करने की पहल है, बल्कि एक दूसरे के प्रति सम्मान और स्नेह का जीता-जागता उदाहरण भी है। रतलाम पुलिस का यह कदम समाज को यह संदेश देता है कि मानवता और अपनापन वर्दी के पीछे भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

रतलाम पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वर्दी के नीचे भी एक दिल धड़कता है, जो न केवल कर्तव्य निभाना जानता है, बल्कि परिवार बनने की जिम्मेदारी भी उठाता है।

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