झाबुआ में क्रिसमस 2024: झाबुआ और आसपास के क्षेत्रों में इस वर्ष क्रिसमस का त्योहार बेहद हर्षोल्लास और भक्ति के साथ मनाया गया। प्रभु यीशु के जन्म की याद में आयोजित इस पर्व की खासियत रही मधुर केरोल गीत, धार्मिक झांकियां और जुबली वर्ष 2025 की घोषणा।
कैथोलिक चर्च में जुबली वर्ष की घोषणा
क्रिसमस की मध्यरात्रि में कैथोलिक चर्च झाबुआ में बिशप पीटर खराड़ी ने जुबली वर्ष 2025 की औपचारिक घोषणा की । जुबली वर्ष प्रभु यीशु के जन्म के बाद हर 25 वें साल में मनाया जाता है । इस अवसर पर बिशप खराड़ी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्ष आध्यात्मिकता और पवित्रता के नए आयाम स्थापित करने का है।
मिस्सा बलिदान और केरोल गीतों का आयोजन
क्रिसमस कार्यक्रम की शुरुआत एक घंटे तक गाए गए सुंदर केरोल गीतों से हुई। “ओ हो मसीहा आया रे…” और “सालों से गोवालियों बालक येसु जोवा जाई रे…” जैसे गीतों ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। इसके बाद आयोजित मिस्सा बलिदान में बिशप ने ईश्वर के मानव रूप में पृथ्वी पर आने और मनुष्यों को प्रेम और शांति का संदेश देने की महत्ता को समझाया।
धार्मिक और सामाजिक झांकियों की प्रस्तुति
इस वर्ष की झांकियों ने न केवल प्रभु यीशु के जन्म का संदेश दिया, बल्कि विकसित झाबुआ और सामाजिक समरसता को भी दर्शाया। झांकियों में आधुनिक भारत की झलक और धार्मिक एकता का विशेष ध्यान रखा गया।

कार्यक्रम में प्रमुख योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में जेरोम वखाला, बेंजामिन निनामा, आनंद खड़िया, रीता गणावा, रोशनी डोडियार, और जेनिता निनामा की टीम ने सराहनीय योगदान दिया। साथ ही, लवनेश भूरिया, सोनू हटीला, सुधीर मंडोडिया, वैभव खराड़ी और अरुण मकवाना का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
झाबुआ में क्रिसमस 2024 की खास बातें
- जुबली वर्ष 2025 की भव्य घोषणा।
- केरोल गीतों और मिस्सा बलिदान में श्रद्धालुओं की सहभागिता।
- धार्मिक और सामाजिक झांकियों ने खींचा ध्यान।
- स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी।
क्रिसमस 2024 ने झाबुआ और अंचल के अन्य कैथोलिक चर्चों में भक्ति और उल्लास का माहौल बनाया। प्रभु यीशु का जन्मोत्सव सभी के लिए प्रेरणा और खुशी का स्रोत बना रहा।