झाबुआ जिले के पेटलावद स्थित गुरुकुल एकेडमी ने विद्यार्थियों के ऐतिहासिक ज्ञान को समृद्ध करने के उद्देश्य से मांडू के ऐतिहासिक स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किया। इस भ्रमण में कक्षा 3 से 12वीं तक के लगभग 250 विद्यार्थी और 20 शिक्षक शामिल हुए।
मांडू के ऐतिहासिक स्थल
मांडू, जिसे मांडवगढ़ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है। इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने निम्नलिखित स्थानों का भ्रमण किया:
- रानी रूपमती महल: अपनी वास्तुकला और नर्मदा नदी के दृश्य के लिए प्रसिद्ध।
- बाज बहादुर का महल: मालवा के अंतिम स्वतंत्र शासक की प्रेम कहानी को जीवंत करता यह महल स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है।
- रेवा कुंड: एक पवित्र जलाशय, जो रानी रूपमती और बाज बहादुर के प्रेम की प्रतीक है।
- जहाज महल: जल महलों के मध्य स्थित यह महल एक जहाज के आकार का प्रतीत होता है।
- हिंडोला महल: झूलते हुए महल की शैली में बना यह स्थान मांडू की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- इको पॉइंट: प्राकृतिक ध्वनि प्रतिध्वनि का अनोखा स्थान।
- नीलकंठ महादेव मंदिर और राम मंदिर: धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के ये स्थल विद्यार्थियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
शैक्षणिक यात्रा का उद्देश्य और अनुभव
विद्यालय के संचालक आकाश चौहान, अध्यक्ष हर्षिता चौहान, और प्राचार्य अतुल मेहता के निर्देशन में आयोजित इस यात्रा का उद्देश्य बच्चों को इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला से परिचित कराना था।
विद्यार्थियों ने गाइड से मांडू के इतिहास और उसकी वास्तुकला के बारे में रोचक प्रश्न पूछे। इसकी भव्य इमारतें किस तरह से उस समय की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं

इस शैक्षणिक भ्रमण ने विद्यार्थियों को किताबों के बाहर जाकर इतिहास को समझने और उसके महत्व को जानने का अवसर दिया। बच्चों ने न केवल मांडू के ऐतिहासिक स्थलों का आनंद लिया बल्कि भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला के प्रति अपने ज्ञान को भी समृद्ध किया।
“इतिहास को जानना अपने भविष्य को समझने की कुंजी है।”
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